Tuesday, March 1, 2016

रेकी कया हे |

रेकी कया हे |



रेकी एक जापानी भाषा का शब्द है जो रे और की से मिलकर बना है। रे का अर्थ है सर्वव्यापी और की का अर्थ है जीवनशक्ति अर्थात रेकी का शाब्दिक अर्थ सर्वव्यापक जीवनशक्ति है। कुछ लोग इसे प्राणशक्ति या संजीवनी शक्ति के नाम से भी जानते है। 

प्रारम्भ : हालाँकि यह विद्या रेकी कया हे |

रेकी एक जापानी भाषा का शब्द है जो रे और की से मिलकर बना है। रे का अर्थ है सर्वव्यापी और की का अर्थ है जीवनशक्ति अर्थात रेकी का शाब्दिक अर्थ सर्वव्यापक जीवनशक्ति है। कुछ लोग इसे प्राणशक्ति या संजीवनी शक्ति के नाम से भी जानते है। 

प्रारम्भ : हालाँकि यह विद्या प्राचीन काल से प्रचलित है, विशेषकर हमारे ऋषि-मुनि इसका प्रयोग लोक कल्याण के लिए करते थे परन्तु समय के साथ ये विद्या लुप्त हो गई और इस विद्या से जुड़े हुए ग्रंथ भी अप्राप्त है। मुख्यतः ईसा और बुद्ध द्वारा इसके प्रयोग के उल्लेख कुछ कथाओं या ग्रंथों में मिलते हैं।

रेकी के वर्तमान स्वरूप के प्रणेता डॉ. मिकाऊ उसई को माना जाता है जिन्होंने कठिन परिश्रम के बाद इस विद्या को न सिर्फ पुनः खोजा बल्कि इस विधा को आगे बढा़या। 

रेकी की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण इसका एकदम सरल एवं असरदार होना है। रेकी का प्रयोग व्यक्ति में निहित ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित करने एवं विश्रांति के लिए किया जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति ऊर्जावान महसूस करता है, जो उसकी कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। 

जहाँ तक व्यक्ति के ऊर्जावान होने का प्रश्न है हमें सबसे पहले अपनी भौतिक संरचना के अलवा अपनी सम्पूर्ण संरचना को समझना होगा। 

भौतिक शरीर जहाँ हम सुख-दुःख एवं चिंता इत्यादि को महसूस करते हैं वास्तव में हमारी संरचना का केवल 12% भाग है। बाकी का लगभग 90% भाग अलग-अलग ऊर्जा की 7 परतों से बना है। जिसे हम साधारण आँखों से नहीं देख पाते हैं। हालाँकि एक रूसी वैज्ञानिक किर्लियन ने एक ऐसे कैमरे का आविष्कार किया है जिसकी मदद से हम अपनी भौतिक संरचना के अलावा हमारे आसपास के ऊर्जामयी शरीर को भी देख सकते हैं। 

हालाँकि रेकी के परिपेक्ष्य में हम भौतिक शरीर के अलावा सिर्फ 2 मुख्य परतों ऊर्जामय शरीर एवं मनोमय शरीर की ही बाते करेंगे। 

हमारी ऊर्जा शरीर के चारों तरफ 6-8 इंच के घेरे में एक और सतह होती है, जिसे मनोमय शरीर के नाम से भी जाना जाता है। जो हमारे विचारों का या मनस्थिति का घेरा है। हम अपने आम जीवन में भी यह महसूस करते हैं कि जब भी हम किसी स्वस्थ मानसिकता वाले मनुष्य के सानिध्य में होते हैं तो अच्छा महसूस होता है, वहीं जब किसी रुग्न या तनावग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने पर हमें उस व्यक्ति से नकारात्मक तरंगों का अनुभव होता है। 

ऐसा मन जाता है की हमारे ऊर्जामय शरीर में ऊर्जा के कई छोटे बड़े चक्र (केंद्र) होते हैं। जो हमारी हर सकारात्मक भावना को नियंत्रित या विकसित करते हैं ये ऊर्जा के केंद्र ब्रह्माण्ड में स्थित सार्वभौमिक ऊर्जा को सतत हमारे शरीर में संचारित करने का कार्य करते रहते है। हमारे ऊर्जा चक्र जितने ज्यादा सक्रिय होंगे हम उतने ही ऊर्जावान और सकारात्मक विचारो के होंगे एवं हमारी रचनात्मकता या आध्यात्मिक स्तर का विकास होता है। 

इसके विपरीत यदि हमारे ऊर्जा केंद्र ठीक तरह से काम नहीं करेंगे या इनमें किसी तरह का अवरोध उत्पन्न हो जाता है, तो हम नकारात्मकता विचारों और कार्यों में पद सकते है जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से रुग्न बना सकता है।

रेकी इन्हीं 24 मुख्य छोटे-बड़े ऊर्जा चक्रों या महत्वपूर्ण ऊर्जा केन्द्रों को हाथ के स्पर्श से नियंत्रित करने का अभ्यास है जिससे व्यक्ति काफी शांत एवं ऊर्जावान महसूस करता है। रेकी के प्रयोग से व्यक्ति में रचनात्मकता की वृद्धि होती है, व्यक्ति तनावमुक्त होता है साथ ही साथ उसके आध्यात्मिक स्तर का विकास होता है। 

रेकी के अभ्यास की विधि इतनी सरल है की कोई भी व्यक्ति इसे किसी भी स्थिति में किसी भी समय कर सकता है। रेकी हमारे पारंपरिक योग, प्राणायाम, ध्यान जैसी विधियों का खंडन बिलकुल नहीं करती बल्कि रेकी, साधकों के लिए काफी मददगार सिद्ध हो सकत हे |

बशर्ते आप किसी योग्य रेकी मास्टर्स द्वारा प्रशिक्षित हो। 

आज के युग में जहाँ हम अपनी तनावग्रस्त दिनचर्या को चाहकर भी नियमित नहीं रख पाते हमें रेकी जैसे सरल एवं असरदार साधन की बहुत सख्त जरूरत है। जो हमारे अन्दर ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित रखेगा। 

- कल्पेश दवे
ज्यादा जानकारी के लिये लोगीन करे www.lifewithcolours.in या संपर्क करे ९८१९२७९७५२.

Monday, April 27, 2015

The Challenges of Relationships and learning, getting the Spiritual awareness in life

The Challenges of Relationships and Learning , Getting the Spiritual Awareness in Life 


Every relationship you forge has the potential to teach you about yourself and your deeply held views. In fact, there's no better laboratory for self-study than through relationships.

 

Relationships are such a large part of who we are that their dynamics manifest themselves throughout our being. The three major energy centers in the body are the second / Sacral chakra (control), third / Solar Plexus chakra (self-esteem) and fourth / Heart chakra (emotional power).

Relationships can introduce you to the parts of yourself that might otherwise remain hidden. As a result, relationships can be quite painful; learning about ourselves and facing our own limitations are not things we tend to do with enthusiasm.



We do not meet and become involved with people as the result of some random process. Each of us generates patterns of energy that attract particular people into our lives. Try to view your relationships as "spiritual messengers" bringing to you revelations about your strengths and weaknesses, and providing valuable lessons on your path to consciousness.



Your challenge is to form and maintain relationships that support your development, to re-script unhealthy relationships, and to release those that limit growth. This is not about judging others; it's about honoring the lessons that relationships can teach you, having the courage to respond clearly to their lessons.